नमस्कार जय भीम जय भारत
आप और आपके परिवार को अम्बेडकर जयंती की हार्दिक शुभकामनायें
जैसा कि आप सब को पता होगा कि आज महापुरुष भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी का जन्मदिवस है। आज सभी देशवासी व दुनिया भर के लोग उनकी जयंती को धूमधाम से मना रहे हैं ।
मैं ऐसे महापुरुष को कोटि-कोटि नमन और प्रणाम करता हूं । आप सभी को उनके जन्मदिन दिवस की बहुत बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं।
मैं संक्षिप्त में उनके बारे में तथा उनके द्वारा किए गए महान कार्यों के बारे में एक छोटा सा लेख प्रस्तुत कर रहा हूं। मैंने इनसे बारे में तथ्य विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किए हैं। यदि कहीं कोई गलती हो तो उसके लिए मैं आप सभी से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं।मैं चाहता हूं आप इसे पढ़े और दूसरे लोगों को भी शेयर करें जिससे इन महापुरुष के बारे में अधिक से अधिक लोगों को पता चले और सभी को उनके महान् विचारों तथा उनके महान् कार्यों से प्रेरणा मिल सके।
भीमराव अम्बेडकर को बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है और उन्हें SYMBOL OF KNOWLEDGE के नाम से पूरी दुनिया भर में जाना जाता है। वे भारतीय अर्थशास्त्री, न्यायवादी, राजनेता, लेखक, दार्शनिक और सामाज सुधारक थे।जाति प्रतिबंधों और अस्पृश्यता जैसे सामाजिक बुराइयों को खत्म करने में उनका प्रयास उल्लेखनीय रहा।
वे अपने पूरे जीवन में सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों और दलितों के अधिकारों के लिए लड़े। उन्हें जवाहरलाल नेहरू जी की कैबिनेट में भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 1990 में, अम्बेडकर जी के मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
डॉ भीमराव अम्बेडकर जी का प्रारंभिक जीवन:-
भीमराव अम्बेडकर जी, भीमबाई के पुत्र थे और उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू सेना छावनी, केंद्रीय प्रांत सांसद महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में एक सूबेदार थे। 1894 में उनके पिता के सेवा-निवृत्ति के बाद वो अपने पुरे परिवार के साथ सातारा चले गए। चार साल बाद, अम्बेडकर जी के मां का निधन हो गया और फिर उनकी चाची ने उनकी देखभाल की। बाबा साहेब अम्बेडकर के दो भाई बलराम और आनंद राव और दो बहन मंजुला और तुलसा थी है और सभी बच्चों में से केवल अम्बेडकर उच्च विद्यालय गए थे। उनकी मां की मृत्यु हो जाने के बाद, उनके पिता ने फिर से विवाह किया और परिवार के साथ बॉम्बे चले गए। 15 साल की उम्र में अम्बेडकर जी ने रामाबाई जी से शादी की।
उनका जन्म गरीब दलित जाति परिवार में हुआ था जिसके कारण उन्हें बचपन में जातिगत भेदभाव और अपमान का सामना करना पड़ा। उनके परिवार को उच्च वर्ग के परिवारों द्वारा अछूत माना जाता था। अम्बेडकर जी के पूर्वज तथा उनके पिता ब्रिटिश ईस्ट इंडियन आर्मी में लंबे समय तक कार्य किया था। अम्बेडकर जी अस्पृश्य स्कूलों में भाग लेते थे, लेकिन उन्हें शिक्षकों द्वारा महत्व नहीं दिया जाता था।
उन्हें विशेषाधिकार प्राप्त समाज के उच्च वर्गों से अलग, कक्षा के बाहर बैठाया जाता था, यहां तक कि जब उन्हें पानी पीना होता था, तब उन्हें चपरासी द्वारा ऊंचाई से पानी डाला जाता था क्योंकि उन्हें पानी और उसके बर्तन को छूने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने इसे अपने लेखन 'चपरासी नहीं तो पानी नहीं' में वर्णित किया है। अम्बेडकर जी को आर्मी स्कूल के साथ-साथ हर जगह समाज द्वारा अलगाव और अपमान का सामना करना पड़ा।
डॉ भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा:-
वह एकमात्र दलित व्यक्ति थे जो मुंबई में एल्फिंस्टन हाई स्कूल में पढ़ने के लिए गये थे। उन्होंने मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 1908 में एल्फिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया। उनकी सफलता दलितो के लिए जश्न मनाने का कारण था क्योंकि वह ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति थे। 1912 में उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में अपनी डिग्री प्राप्त की। उन्हें सयाजीराव गायकवाड़ द्वारा स्थापित योजना के तहत बड़ौदा राज्य छात्रवृत्ति मिली और अर्थशास्त्र का अध्ययन करने के लिए उन्होंने न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया।
जून 1915 में उन्होंने अर्थशास्त्र के साथ-साथ इतिहास, समाजशास्त्र, दर्शन और राजनीति जैसे अन्य विषयों में भी मास्टर डिग्री प्राप्त की। 1916 में वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में गए और अपने शोध प्रबंध पर काम किये "रुपये की समस्या: इसकी उत्पत्ति और समाधान", उसके बाद 1920 में वो इंग्लैंड गए वहां उन्हें लंदन विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की डिग्री मिली और 1927 में उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल किया।
उनका विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान:-
भारत रत्न डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने अपने जीवन के 65 वर्षों में देश को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया,
उनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं :-
सामाजिक एवं धार्मिक योगदान:
मानवाधिकार जैसे दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जातिपाति, ऊॅच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए मनुस्मृति दहन (1927), महाड सत्याग्रह (वर्ष 1928), नाशिक सत्याग्रह (वर्ष 1930), येवला की गर्जना (वर्ष 1935) जैसे आंदोलन चलाये।
बेजुबान, शोषित और अशिक्षित लोगों को जगाने के लिए वर्ष 1927 से 1956 के दौरान मूक नायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत नामक पांच साप्ताहिक एवं पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।
कमजोर वर्गों के छात्रों को छात्रावासों, रात्रि स्कूलों, ग्रंथालयों तथा शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से अपने दलित वर्ग शिक्षा समाज (स्था. 1924) के जरिए अध्ययन करने और साथ ही आय अर्जित करने के लिए उनको सक्षम बनाया।
सन् 1945 में उन्होंने अपनी पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी के जरिए मुम्बई में सिद्वार्थ महाविद्यालय तथा औरंगाबाद में मिलिन्द महाविद्यालय की स्थापना की।
बौद्धिक, वैज्ञानिक, प्रतिष्ठा, भारतीय संस्कृति वाले बौद्ध धर्म की 14 अक्टूबर 1956 को 5 लाख लोगों के साथ नागपुर में दीक्षा ली तथा भारत में बौद्ध धर्म को पुनर्स्थापित कर अपने अंतिम ग्रंथ ‘‘द बुद्धा एण्ड हिज धम्मा‘‘ के द्वारा निरंतर वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।
संविधान तथा राष्ट्र निर्माण में योगदान:-
जात पांत तोडक मंडल (वर्ष 1937) लाहौर, के अधिवेशन के लिये तैयार अपने अभिभाषण को ‘‘जातिभेद निर्मूलन‘‘ नामक उनके ग्रंथ ने भारतीय समाज को धर्मग्रंथों में व्याप्त मिथ्या, अंधविश्वास एवं अंधश्रद्धा से मुक्ति दिलाने का कार्य किया।
हिन्दू विधेयक संहिता के जरिए महिलाओं को तलाक, संपत्ति में उत्तराधिकार आदि का प्रावधान कर उसके कार्यान्वयन के लिए वह जीवन पर्यन्त संघर्ष करते रहे।
आर्थिक, वित्तीय और प्रशासनिक योगदान:-
भारत में रिजर्व बैंक आॅफ इण्डिया की स्थापना डॉ. अम्बेडकर द्वारा लिखित शोध ग्रंथ ‘‘रूपये की समस्या-उसका उदभव तथा उपाय‘‘ और ‘‘भारतीय चलन व बैकिंग का इतिहास‘‘ ग्रन्थों तथा ‘‘हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष उनकी साक्ष्य‘‘ के आधार पर 1935 में हुई।
उनके दूसरे शोध ग्रंथ ‘‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास‘‘ के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई।
कृषि में सहकारी खेती के द्वारा पैदावार बढाना, सतत विद्युत और जल आपूर्ति करने का उपाय बताया।
औद्योगिक विकास, जलसंचय, सिंचाई, श्रमिक और कृषक की उत्पादकता और आय बढाना, सामूहिक तथा सहकारिता से प्रगत खेती करना, जमीन के राज्य स्वामित्व तथा राष्ट्रीयकरण से सर्वप्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी गणराज्य की स्थापना करना।
सन 1945 में उन्होंने महानदी का प्रबंधन की बहुउददे्शीय उपयुक्तता को परख कर देश के लिये जलनीति तथा औद्योगिकरण की बहुउद्देशीय आर्थिक नीतियां जैसे नदी एवं नालों को जोड़ना, हीराकुण्ड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजना, राष्ट्रीय जलमार्ग, केन्द्रीय जल एवं विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किये।
सन 1944 में प्रस्तावित केन्द्रिय जल मार्ग तथा सिंचाई आयोग के प्रस्ताव को 4 अप्रैल 1945 को वाइसराय द्वारा अनुमोदित किया गया तथा बड़े बांधोंवाली तकनीकों को भारत में लागू करने हेतु प्रस्तावित किया।
उन्होंने भारत के विकास हेतु मजबूत तकनीकी संगठन का नेटवर्क ढांचा प्रस्तुत किया।
उन्होंने जल प्रबंधन तथा विकास और नैसर्गिक संसाधनों को देश की सेवा में सार्थक रुप से प्रयुक्त करने का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्होंने समता, समानता, बन्धुता एवं मानवता आधारित भारतीय संविधान को 02 वर्ष 11 महीने और 17 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार कर 26 नवंबर 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप कर देश के समस्त नागरिकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पध्दति से भारतीय संस्कृति को अभिभूत किया।
वर्ष 1951 में महिला सशक्तिकरण का हिन्दू संहिता विधेयक पारित करवाने में प्रयास किया और पारित न होने पर स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया।
वर्ष 1955 में अपना ग्रंथ ‘‘भाषाई राज्यों पर विचार‘‘ प्रकाशित कर आन्ध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को छोटे-छोटे और प्रबंधन योग्य राज्यों में पुनर्गठित करने का प्रस्ताव दिया था, जो उसके 45 वर्षों बाद कुछ प्रदेशों में साकार हुआ।
निर्वाचन आयोग, योजना आयोग, वित्त आयोग, महिला पुरुष के लिये समान नागरिक हिन्दू संहिता, राज्य पुनर्गठन, बडे आकार के राज्यों को छोटे आकार में संगठित करना, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, मौलिक अधिकार, मानवाधिकार, काम्पट्रोलर व ऑडीटर जनरल, निर्वाचन आयुक्त तथा राजनीतिक ढांचे को मजबूत बनाने वाली सशक्त, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं विदेश नीति बनाई।
शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा एवं श्रम कल्याण:-
वायसराय की कौंसिल में श्रम मंत्री की हैसियत से श्रम कल्याण के लिए श्रमिकों की 12 घण्टे से घटाकर 8 घण्टे कार्य-समय, समान कार्य समान वेतन, प्रसूति अवकाश, संवैतनिक अवकाश, कर्मचारी राज्य बीमा योजना, स्वास्थ्य सुरक्षा, कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 बनाना, मजदूरों एवं कमजोर वर्ग के हितों के लिए तथा सीधे सत्ता में भागीदारी के लिए स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन कर 1937 के मुम्बई प्रेसिडेंसी चुनाव में 17 में से उन्होंने 15 सीटें जीतीं।
कर्मचारी राज्य बीमा के तहत स्वास्थ्य, अवकाश, अपंग-सहायता, कार्य करते समय आकस्मिक घटना से हुये नुकसान की भरपाई करने और अन्य अनेक सुरक्षात्मक सुविधाओं को श्रम कल्याण में शामिल किया।
कर्मचारियों को दैनिक भत्ता, अनियमित कर्मचारियों को अवकाश की सुविधा, कर्मचारियों के वेतन श्रेणी की समीक्षा, भविष्य निधि, कोयला खदान तथा माईका खनन में कार्यरत कर्मियों को सुरक्षा संशोधन विधेयक सन 1944 में पारित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सन 1946 में उन्होंने निवास, जल आपूर्ति, शिक्षा, मनोरंजन, सहकारी प्रबंधन आदि से श्रम कल्याण नीति की नींव डाली तथा भारतीय श्रम सम्मेलन की शुरूआत की जो अभी निरंतर जारी है, जिसमें प्रतिवर्ष मजदूरों के ज्वलंत मुद्दों पर प्रधानमंत्री की उपस्थिति में चर्चा होती है और उसके निराकरण के प्रयास किये जाते है।
श्रम कल्याण निधि के क्रियान्वयन हेतु सलाहकार समिति बनाकर उसे जनवरी 1944 में अंजाम दिया।
भारतीय सांख्यिकी अधिनियम पारित कराया ताकि श्रम की दशा, दैनिक मजदूरी, आय के अन्य स्रोत, मुद्रस्फीति, ऋण, आवास, रोजगार, जमापूंजी तथा अन्य निधि व श्रम विवाद से संबंधित नियम सम्भव कर दिया।
नवंबर 8, 1943 को उन्होंने 1926 से लंबित भारतीय श्रमिक अधिनियम को सक्रिय बनाकर उसके तहत भारतीय श्रमिक संघ संशोधन विधेयक प्रस्तावित किया और श्रमिक संघ को सख्ती से लागू कर दिया।
स्वास्थ्य बीमा योजना, भविष्य निधि अधिनियम, कारखाना संशोधन अधिनियम, श्रमिक विवाद अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम और विधिक हडताल के अधिनियमों को श्रमिकों के कल्याणार्थ निर्माण किया।
अपने बचपन की कठिनाइयों और गरीबी के बावजूद भारत रत्न बाबा साहब डॉ बीआर अम्बेडकर जी ने अपने प्रयासों और समर्पण के साथ अपनी पीढ़ी को शिक्षित बनने के लिए आगे बढ़ते रहे। वे विदेशों में अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट डिग्री प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे।
मैं आपसे हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि यदि आपको इन महापुरुष भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के बारे में यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे अधिक से अधिक लोगों को शेयर करें और अपनी अनमोल राय तथा प्रतिक्रिया दे।
भारत रत्न बाबा साहब डॉ.बी.आर.अम्बेडकर के बारे में 25 ऐसी बाते जो उनको महान बनाती है,शायद ही ये गौरव किसी दूसरे भारतीय व्यक्ति को प्राप्त है।
भारत रत्न डॉ.भीमराव अंबेडकर को बाबासाहेब, डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम से जाना जाता है।उनका जन्म 14 अप्रैल,1891 को महू के एक गरीब अछूत परिवार में हुआ था और 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली में उनका निधन हो गया था।
1. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर अपने माता-पिता की 14 वीं और अंतिम संतान थे।
2. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर का असली नाम अंबावडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक, महादेव अम्बेडकर ने उन्हें स्कूल के रिकॉर्ड में अम्बेडकर उपनाम दिया।
3. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट (पीएचडी) की डिग्री प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे।
4. डॉ.अंबेडकर एकमात्र भारतीय हैं जिनकी प्रतिमा लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है।
5. भारतीय तिरंगे में "अशोक चक्र" को जगह देने का श्रेय भी डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर को जाता है।
6. नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो.अमर्त्य सेन ने अर्थशास्त्र में डॉ. बी. आर. अम्बेडकर को अपना पिता माना।
7. मध्य प्रदेश और बिहार के बेहतर विकास के लिए, बाबासाहेब ने 50 के दशक में इन राज्यों के विभाजन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन 2000 के बाद ही मध्य प्रदेश और बिहार को विभाजित करके छत्तीसगढ़ और झारखंड का गठन किया गया था।
8. बाबासाहेब की निजी लाइब्रेरी "राजगीर" में 50,000 से अधिक किताबें थीं और यह दुनिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी थी।
9. डॉ.बाबासाहेब द्वारा लिखित पुस्तक "वेटिंग फॉर ए वीजा" कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक पाठ्यपुस्तक है। कोलंबिया विश्वविद्यालय ने 2004 में दुनिया के शीर्ष 100 विद्वानों की सूची बनाई और उस सूची में पहला नाम डॉ। भीमराव अंबेडकर का था। अम्बेडकर और संविधान
10. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर 64 विषयों में मास्टर थे। उन्हें हिंदी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, फारसी और गुजराती जैसी 9 भाषाओं का ज्ञान था। इसके अलावा, उन्होंने लगभग 21 वर्षों तक दुनिया के सभी धर्मों का तुलनात्मक तरीके से अध्ययन किया।
11.लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में, बाबासाहेब ने सिर्फ 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की। इसके लिए उन्होंने एक दिन में 21 घंटे पढ़ाई की।
12. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर ने अपने 8,50,000 समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म में दीक्षा ली, क्योंकि यह दुनिया में सबसे बड़ा धर्मांतरण था।
13. "महंत वीर चंद्रमणि", एक महान बौद्ध भिक्षु जिन्होंने बाबासाहेब को बौद्ध धर्म की शुरुआत की, उन्हें "इस युग का आधुनिक बुद्ध" कहा।
14. बाबासाहेब लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से "डॉक्टर ऑल साइंस" नामक एक मूल्यवान डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं। कई बुद्धिमान छात्रों ने इसके लिए प्रयास किया है, लेकिन वे अब तक सफल नहीं हुए हैं।
15. दुनिया भर में, नेता के नाम पर लिखे गए अधिकांश गीत और किताबें डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर हैं।
16. गवर्नर लॉर्ड लिनलिथगो और महात्मा गांधी का मानना था कि बाबासाहेब 500 स्नातकों और हजारों विद्वानों से अधिक बुद्धिमान हैं।
17. बाबासाहेब दुनिया के पहले और एकमात्र सत्याग्रही थे, जिन्होंने पीने के पानी के लिए सत्याग्रह किया था।
18. 1954 में, काठमांडू, नेपाल में आयोजित "विश्व बौद्ध परिषद" में बौद्ध भिक्षुओं ने डॉ। बाबासाहेब अंबेडकर को बौद्ध धर्म का सर्वोच्च पद "बोधिसत्व" दिया था। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक "द बुद्ध एंड द धम्मा" भारतीय बौद्धों का "धर्मग्रंथ" है।
19. डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने तीन महापुरुषों, भगवान बुद्ध, संत कबीर और महात्मा फुले को अपना "प्रशिक्षक" माना था।
20. दुनिया में सबसे ज्यादा प्रतिमा बाबासाहेब की है। उनकी जयंती भी पूरे विश्व में मनाई जाती है।
21. बाबा साहेब पिछड़े वर्ग के पहले वकील थे।और पिछड़े लोगो को अधिकार देने के लिए आंदोलन चलाया था।
22. "द मेकर्स ऑफ द यूनिवर्स" नामक वैश्विक सर्वेक्षण के आधार पर पिछले 10 हजार वर्षों के शीर्ष 100 मानवतावादी लोगों की एक सूची ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई थी, जिसमें चौथा नाम डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर का था।
23. बाबासाहेब अम्बेडकर ने वर्तमान समय में चारों तरफ चर्चा हो रही विमुद्रीकरण के बारे में "द प्रॉब्लम ऑफ रुपी-इट्स ओरिजिन एंड इट्स सोल्यूशन" पुस्तक में कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक में वर्णन किया है कि "अगर किसी भी देश को काले धन और नकली मुद्रा को खत्म करना है, तो हर 10 साल बाद देश की मुद्रा को विमुद्रीकृत किया जाना चाहिए।"
24. दुनिया में हर जगह, बुद्ध की बंद आंखों वाली मूर्तियां और पेंटिंग दिखाई देती हैं, लेकिन बाबासाहेब, जो एक अच्छे चित्रकार भी थे, ने बुद्ध की पहली पेंटिंग बनाई जिसमें बुद्ध की आंखें खोली गईं।
25. बाबासाहेब की पहली प्रतिमा का निर्माण वर्ष 1950 में किया गया था, जब वे जीवित थे और यह प्रतिमा कोल्हापुर शहर में स्थापित की गई थी।
भारत रत्न बाबा साहब डॉ.बी.आर.अम्बेडकर के बारे में 25 ऐसी बाते जो उनको महान बनाती है,शायद ही ये गौरव किसी दूसरे भारतीय व्यक्ति को प्राप्त है।
भारत रत्न डॉ.भीमराव अंबेडकर को बाबासाहेब, डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम से जाना जाता है।उनका जन्म 14 अप्रैल,1891 को महू के एक गरीब अछूत परिवार में हुआ था और 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली में उनका निधन हो गया था।
1. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर अपने माता-पिता की 14 वीं और अंतिम संतान थे।
2. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर का असली नाम अंबावडेकर था। लेकिन उनके शिक्षक, महादेव अम्बेडकर ने उन्हें स्कूल के रिकॉर्ड में अम्बेडकर उपनाम दिया।
3. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट (पीएचडी) की डिग्री प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे।
4. डॉ.अंबेडकर एकमात्र भारतीय हैं जिनकी प्रतिमा लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है।
5. भारतीय तिरंगे में "अशोक चक्र" को जगह देने का श्रेय भी डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर को जाता है।
6. नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो.अमर्त्य सेन ने अर्थशास्त्र में डॉ. बी. आर. अम्बेडकर को अपना पिता माना।
7. मध्य प्रदेश और बिहार के बेहतर विकास के लिए, बाबासाहेब ने 50 के दशक में इन राज्यों के विभाजन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन 2000 के बाद ही मध्य प्रदेश और बिहार को विभाजित करके छत्तीसगढ़ और झारखंड का गठन किया गया था।
8. बाबासाहेब की निजी लाइब्रेरी "राजगीर" में 50,000 से अधिक किताबें थीं और यह दुनिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी थी।
9. डॉ.बाबासाहेब द्वारा लिखित पुस्तक "वेटिंग फॉर ए वीजा" कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक पाठ्यपुस्तक है। कोलंबिया विश्वविद्यालय ने 2004 में दुनिया के शीर्ष 100 विद्वानों की सूची बनाई और उस सूची में पहला नाम डॉ। भीमराव अंबेडकर का था। अम्बेडकर और संविधान
10. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर 64 विषयों में मास्टर थे। उन्हें हिंदी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, फारसी और गुजराती जैसी 9 भाषाओं का ज्ञान था। इसके अलावा, उन्होंने लगभग 21 वर्षों तक दुनिया के सभी धर्मों का तुलनात्मक तरीके से अध्ययन किया।
11.लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में, बाबासाहेब ने सिर्फ 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की। इसके लिए उन्होंने एक दिन में 21 घंटे पढ़ाई की।
12. डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर ने अपने 8,50,000 समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म में दीक्षा ली, क्योंकि यह दुनिया में सबसे बड़ा धर्मांतरण था।
13. "महंत वीर चंद्रमणि", एक महान बौद्ध भिक्षु जिन्होंने बाबासाहेब को बौद्ध धर्म की शुरुआत की, उन्हें "इस युग का आधुनिक बुद्ध" कहा।
14. बाबासाहेब लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से "डॉक्टर ऑल साइंस" नामक एक मूल्यवान डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं। कई बुद्धिमान छात्रों ने इसके लिए प्रयास किया है, लेकिन वे अब तक सफल नहीं हुए हैं।
15. दुनिया भर में, नेता के नाम पर लिखे गए अधिकांश गीत और किताबें डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर हैं।
16. गवर्नर लॉर्ड लिनलिथगो और महात्मा गांधी का मानना था कि बाबासाहेब 500 स्नातकों और हजारों विद्वानों से अधिक बुद्धिमान हैं।
17. बाबासाहेब दुनिया के पहले और एकमात्र सत्याग्रही थे, जिन्होंने पीने के पानी के लिए सत्याग्रह किया था।
18. 1954 में, काठमांडू, नेपाल में आयोजित "विश्व बौद्ध परिषद" में बौद्ध भिक्षुओं ने डॉ। बाबासाहेब अंबेडकर को बौद्ध धर्म का सर्वोच्च पद "बोधिसत्व" दिया था। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक "द बुद्ध एंड द धम्मा" भारतीय बौद्धों का "धर्मग्रंथ" है।
19. डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने तीन महापुरुषों, भगवान बुद्ध, संत कबीर और महात्मा फुले को अपना "प्रशिक्षक" माना था।
20. दुनिया में सबसे ज्यादा प्रतिमा बाबासाहेब की है। उनकी जयंती भी पूरे विश्व में मनाई जाती है।
21. बाबा साहेब पिछड़े वर्ग के पहले वकील थे।और पिछड़े लोगो को अधिकार देने के लिए आंदोलन चलाया था।
22. "द मेकर्स ऑफ द यूनिवर्स" नामक वैश्विक सर्वेक्षण के आधार पर पिछले 10 हजार वर्षों के शीर्ष 100 मानवतावादी लोगों की एक सूची ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई थी, जिसमें चौथा नाम डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर का था।
23. बाबासाहेब अम्बेडकर ने वर्तमान समय में चारों तरफ चर्चा हो रही विमुद्रीकरण के बारे में "द प्रॉब्लम ऑफ रुपी-इट्स ओरिजिन एंड इट्स सोल्यूशन" पुस्तक में कई सुझाव दिए हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक में वर्णन किया है कि "अगर किसी भी देश को काले धन और नकली मुद्रा को खत्म करना है, तो हर 10 साल बाद देश की मुद्रा को विमुद्रीकृत किया जाना चाहिए।"
24. दुनिया में हर जगह, बुद्ध की बंद आंखों वाली मूर्तियां और पेंटिंग दिखाई देती हैं, लेकिन बाबासाहेब, जो एक अच्छे चित्रकार भी थे, ने बुद्ध की पहली पेंटिंग बनाई जिसमें बुद्ध की आंखें खोली गईं।
25. बाबासाहेब की पहली प्रतिमा का निर्माण वर्ष 1950 में किया गया था, जब वे जीवित थे और यह प्रतिमा कोल्हापुर शहर में स्थापित की गई थी।
आप सबका शुभचिंतक
गोपा राम पुनङ
भारतीय रेलवे रामदेवरा